जो देखना चाहता है तो देख लेता हैवरना न जाने कहा छुप जाता हैमै इंतज़ार करती हूँ की तू अब आएगापर तुजे न जाने मुझे यु परेशां देख, क्या चैन आता है. Read More: सूरज से गुफ्तगू #29
Category Archives: Just when I don’t know anything.
सूरज से गुफ्तगू #29
तू आया तो है फिर से आजपर तू सवेरा नहीं, अँधेरा लाया हैक्या बात हुई, क्या कोई बात अधूरी छूटिया फिर बस मेरे अंदर का अन्धेरा तुज पर भी छाया हैं Read more: सूरज से गुफ्तगू #28
सूरज से गुफ्तगू #28
बिन मांगी जलन हैएक तूफ़ान, एक सैलाब भी हैरोज तुजसे पूछना चाहती हु, पर भूल जाती हूँतू है तो सही पर इतना दूर दूर क्यों हैं Read More: सूरज से गुफ्तगू #27
सूरज से गुफ्तगू #27
न देखु तुजेतो ज़िंदा ही रहती हूँन देखु तुजेतो वफ़ात से न मिल पति हूँन देखु तुजेतो उन गैरो में भी तुजे ही ढूंढ़ती हूँन देखु तुजेतो बस गुमसुम सी रहती हूँन देखु तुजेतो शोर में भी ख़ामोशी ढूंढ़ती हूँअब क्या बताऊ न देखु तुजेतो किसी बात का गम नहीं होतापर जो न देखु तुजेतोContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #27”
सूरज से गुफ्तगू #26
अब दूर दूर बैठ कर बातें नहीं होंगीअब तो मुलाकाते होंगीअब बेज़ुबान रात नहीं होंगीअब तो सन्नाटो में भी शरारत होगीबहुत रो ली मेरी आँखे तेरे बगैरबहुत तोड़ लिया अपना दिल, तूने मेरे बगैरतनहा न तू होगा न अब मैंशायद इसलिए, ए सूरज, आया है अब अपना समयअब सिर्फ आँखों आँखों में बातें नहीं होंगीधीरेContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #26”
सूरज से गुफ्तगू #25
खुदको समजा लिया हैतुझको मना लिया हैइकरस जितना ऊंचा नहीं उड़ेंगेहम दोनों जितना बटोर सके उसी में खुश हो लेंगेज्यादा ख्वाहिशे नहीं रखेंगेवरना शायद दो जिस्म एक जान जैसा कुछ खो देंग। Read More: सूरज से गुफ्तगू #24
सूरज से गुफ्तगू #24
मै कुछ देर का मेहमान हुतू जीता चला जायेगातूने ही कहा था, मै जरूरी हु सांस लेने के लिएफिर तू क्या करेगा, मेरे बाद मुझे पाने के लिए?चल, तुजे क्या करना है मै ही तुजे बता देती हूँतेरे हर हाल का पता मै ही लिख के लती हूँतू क्या मेरे लिए नग्मे लिखेगामेरी यादो सेContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #24”
सूरज से गुफ्तगू #23
इशारो इशारो में बात बहुत कर लीबिना कहे मेरी हर ख्वाहिश पूरी कर दी,फिर भी कहता है कुछ मांगू तुजसेपर अब कुछ मांगूंगी तो तुजे खो दूंगी शायद खोने के दर से। https://aestheticmiradh.com/2020/10/21/सूरज-से-गुफ्तगू-22/
Blank
Four years ago, around 24thAugust, I had this insane urge of being heard, I did not ramble what was going on with me then, I just wrote a small blog celebrating Janmashtami. That was my third or fourth attempt at blogging or precisely writing. I had failed so far, and I was sure I wouldContinue reading “Blank”
सूरज से गुफ्तगू #22
पाना नहीं सिर्फ चाहना है तुजे कुछ ज्यादा नहीं सिर्फ सपनो में देख लेना तू मुझे, और कुछ नहीं तो बसा लेना तेरी हर रंगीन अंगड़ाई में फिर तू चाहे तो बस बन कर रह जाउंगी तेरी ही परछाई मै। Read more: सूरज से गुफ्तगू #21