कभी कभी जब अकेले रोती हूँ तो रातो को भी तेरा इंतज़ार करती हूँ कभी कभी, जब अकेले में सोती हूँ तो खुद की उंगलियों से यु सिलवटे तेरी बना जाती हूँ तेरे बाहों में सिमटना चाहती हूँ कुछ देर ही सही, तुजसे दिल का हर राज़ कहना चाहती हूँ. तू समझता नहीं मेरी प्यासContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #13”
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सूरज से गुफ्तगू #12
तू ढूंढ रहा है कुछ ऐसा सुना है मैंने तू खो चूका है कुछ ऐसा पता लगा है मुझे. अधूरा अधूरा सा लग रहा होगा न जैसे मुझे अब तक लगता था आज तक तूने कहा था चल आज मै तुजसे वही बात कहती हूँ नहीं पायेगा मुझे जब तक मिश्री सा घुल नहीं जाताContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #12”
सूरज से गुफ्तगू #11
सुन, तू कब से काबिल हो गया यु गम छुपाने में तू कब से यु हिचकिचाने लगा खुल के मुस्कराने में कोई पुरानी छूटी हुई ख़ुशी याद आयी है या बस मुझसे दूर जाने की रुस्वाई है? कुछ और गुफ्तगू: सूरज से गुफ्तगू #10
सूरज से गुफ्तगू #10
दिल तो मशवरे नहीं करता मुझसे क्या तू भी अब नहीं करेगा गम रास आने लगा था मुझे क्या तू भी अब ग़मज़ादा हो जायेगा? कुछ और गुफ्तगू: सूरज से गुफ्तगू #9
सूरज से गुफ्तगू #9
सुनो थोड़ा ठहर जाओ तुमसे एक बात केहनी थी, वो बस सुनते जाओ दिल आज फिर भर आया है मै, रात तुम्हारे आने के इंतज़ार में काट लुंगी तुम बस शाम सहारा बनते जाओ, सुनो, बस थोड़ा ठहर जाओ. कुछ और गुफ्तगू: सूरज से गुफ्तगू#8
सूरज से गुफ्तगू#8
वो कहता है बारिश भी पसंद है वो कहता है सूरज भी पसंद है, देखो, दोनों का मेल नहीं हो सकता इंद्रधनुष सा जादू हर किसी के नसीब में नहीं हो सकता. कुछ और गुफ्तगू: सूरज से गुफ्तगू #7
सूरज से गुफ्तगू #7
क्या यार तुम आज फिर चुप गये देखो ये रोज रोज का रूठना मनाना नहीं चलेगा तुम्हारा रोज यु हमसे दूर जाना नहीं चलेगा. हमने तो कभी कहा नहीं की हमे बारसात पसंद है हमे तो तुम्हारी वो दूर से भेजी रंगीन आहट ही पसंद है हमने कब कहा की हमे वो पेड़ से टूटContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #7”
सूरज से गुफ्तगू #6
चलो जाओ, नहीं करनी तुमसे कोई मुलाकात तुम नहीं चाहते तो नहीं करनी तुमसे कोई बात दूर-दूर ही अच्छे हो चाँद क बिना ही पुरे हो. शायद इसी बात का गुर्रर है चांदनी से पहले जो तुमसे मोहब्बत का इकरार किया है. हमने तो कोई पर्दा न रखा था पर तुम्हारे सुरूर का ताप हीContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #6”
सूरज से गुफ्तगू #5
बिखेर दिए है आज जो बदल भी तुमने बस गए हो यु उसके भी दिल में कुछ तो शर्म करो कितनो के दिल के तोड़ोगे अब बस भी करो, मोहब्बत करता हु, ये कितनो से कहोगे. थोड़ी और गुफ्तगू: सूरज से गुफ्तगू #4
सूरज से गुफ्तगू #4
First things first #NoFilters पागल ही कह लो हम तो सूरज से भी बातें करते है, ख़्वाबीदा ही कह लो हम तो उससे मिलने का ख्वाब भी देखते है. कुछ और गुफ्तगू उस अनजान सूरज से: सूरज से गुफ्तगू #3 सूरज से गुफ्तगू #2 सूरज से गुफ्तगू #1
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