तेरे कंधे पर सर रख कर रोना चाहती हूँतुजे बाहो में भर कर कुछ देर सोना चाहती हूँफिर जल के राख हो जाऊं तो भी कोई गम नहींबस तेरे सीने में भी खुद की पहचान छोड़ना चाहती हूँतेरी उंगलियों के बीच खुद की उंगलियां पिरोना चाहती हूँतेरे सपनो में मेरी जान, खुद के सपनो कोContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #33”
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सूरज से गुफ्तगू #18
कई दिनों से तुजसे मुलाकात नहीं हुई हैं ये भीगी बारिश से जैसे नफरत सी हुई हैं, तू ही कहता था, तेरे बिना मेरा अस्तित्व नहीं तो अब ये तू ही बता, तेरे बिना मैं खोकली बन_ पर जिउ तो सही? Read more: सूरज से गुफ्तगू #17
सूरज से गुफ्तगू #17
सुन आज कोई बात नहीं करते हैं तेरे फिर से डूब जाने की बात नहीं करते हैं, तेरे, हर शाम के बाद वह बदलते हुए चाँद के पास जाने की बात नहीं करते हैं तुजे यु किसी से बाटने की बात नहीं करते हैं, हमारे कभी न मिल पाने की बात नहीं करते हैं सुनContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #17”