न नगमे न सपनेन तेरा न मेराचल बीच राह ही कही मिलते हैजी जान से नहीं बस उन ढाई हर्फो को निभाते हैमुश्किल सही नामुमकिन तो नहींहसना और रोना भी पर तेरा साथ तो सहीअब कोई कहानी तेरी छुपी नहींमेरे पंख अब मोम के नहींन अब कोई इंतज़ार है, न सितारों को पाने की चाहतहैContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #50”
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सूरज से गुफ्तगू #49
प्यार और इश्क़ में फर्क समाज आयातेरे और मेरे बीच का फर्क आज समाज आयादिन और रात सा अंतर है हमारे दर्मियापर देख फिर भी अब तक का कारवां क्या खूब निभाया हैइस बार तू छोड़ के नहीं गयाअब यकीन है इस बार नहीं जायेगासांज और सवेरे से पहले का साथ तू खूब निभाएगा ReadContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #49”
सूरज से गुफ्तगू #48
मुद्दतो बाद एक पैगाम आया हैभरी दोपहर में मेरे चाहने वाले का ऐलान आया हैडर है कही वो फिर न मुकर जायेइतनी दफा छोड़ गया, वैसे कही फिर न छोड़ जाये. Read More: सूरज से गुफ्तगू #47
सूरज से गुफ्तगू #47
सुना है मिलने वाले ख्वाबो में भी मिल जाते हैतुम भी आते हो मिलनेधीमे धीमे ख्वाबो को सजोनेभीनी ज़ुल्फो की चादर तलेआँखों से नींद चुराएपर जैसे ही तुम्हारा हाथ थामुतो न जाने कहा गायब हो जाते होमानो जैसे ख्वाबो में ही मोहब्बत करते होसुना है मिलने वाले ख्वाबो में भी मिल आते हैकभी उन ख्वाबोContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #47”
सूरज से गुफ्तगू #45
तू अपनी आँखों पे थोड़ी तवज्जोह तो रखकही न लग जाये तुजे मेरी ही लतजैसे मै तुजे नहीं बाट सकतीवैसे तू भी मुझे न बाट पाएकही तुजे भी न हो जाये ऐसी ही मोहब्बत Read More: सूरज से गुफ्तगू #44
सूरज से गुफ्तगू #44
तेरे जाने के साथ आज मै सोने चली जाउंगीबिस्तर पर लेट कर एक अलग ही धुन में खो जाउंगीउसी उल्जन के साथ सो जाउंगीकी शायद ख्वाबो में कुछ सुलझ जायेक्या पता जो न सोचा हो वो भी मिल जाये Read More: सूरज से गुफ्तगू #43
सूरज से गुफ्तगू #43
तू सोचता होगा की तूने सिर्फ मुझे सताया हैपर तूने मुझे खुद से ज़्यादा जलाया हैंतू सोचता होगा की तूने सिर्फ अपनी दास्तान रौशन की हैंपर तूने हर कोशिश के साथ मेरे हौसले को उड़ने की आहट दी हैं Read More: सूरज से गुफ्तगू #42
सूरज से गुफ्तगू #42
तुम बार बार जो अपनी चलाते थेन जाने मुझे कितने हिस्सों में तोड़ जाते थेअब जो तुम पिघले हो अर्सो के बादउम्र भर का हिसाब चुकाना होगा तुम्हे आजतोड़ने की ख्वाहिश नहीं रखते हमबस बाटना चाहते है तेरे गमअब तक तुजे छूने से ही डरती थीअब तुम मुझे खोने से डरोगेअब तक सिर्फ तुम्हे दूरContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #42”
सूरज से गुफ्तगू #40
तुजसे बार बार मोहब्बत हो रही हैकभी तेरी गुस्ताखियों सेतो कभी तू मुझे जैसे देखे, उस नज़र सेकभी तेरी मुस्कराहट सेतो कभी तू जैसे मेरे करीब आये, उन बाहो सेकभी तेरी अनकही बातो सेतो कभी तू रूठ जाये, उस अंदाज़ सेबस तुजसे बार बार मोहब्बत हो रही हैकभी तेरी हरकतों से, तो कभी, बेवजह सहीContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #40”
सूरज से गुफ्तगू #39
उसने कहा हम मिले नहींफिर जुदाई का गम कैसेउसे क्या पता, हम मिले नहींफिर भी मोहब्बत थी उससेपाया तो नहींपर अब तक ढूंढ रही हूँउस एक तिनके सी मुलाकातअब तक महसूस कर रही हूँबादलो और फूलो पर चल कर नहींकांटो और अंगारो से भी लड़ कर आयी हूँवो सारी पुरानी बातेंइन सन्नाटो में छुपा करContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #39”