तेरे जाने के साथ आज मै सोने चली जाउंगीबिस्तर पर लेट कर एक अलग ही धुन में खो जाउंगीउसी उल्जन के साथ सो जाउंगीकी शायद ख्वाबो में कुछ सुलझ जायेक्या पता जो न सोचा हो वो भी मिल जाये Read More: सूरज से गुफ्तगू #43
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सूरज से गुफ्तगू #29
तू आया तो है फिर से आजपर तू सवेरा नहीं, अँधेरा लाया हैक्या बात हुई, क्या कोई बात अधूरी छूटिया फिर बस मेरे अंदर का अन्धेरा तुज पर भी छाया हैं Read more: सूरज से गुफ्तगू #28
सूरज से गुफ्तगू #27
न देखु तुजेतो ज़िंदा ही रहती हूँन देखु तुजेतो वफ़ात से न मिल पति हूँन देखु तुजेतो उन गैरो में भी तुजे ही ढूंढ़ती हूँन देखु तुजेतो बस गुमसुम सी रहती हूँन देखु तुजेतो शोर में भी ख़ामोशी ढूंढ़ती हूँअब क्या बताऊ न देखु तुजेतो किसी बात का गम नहीं होतापर जो न देखु तुजेतोContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #27”
सूरज से गुफ्तगू #14
बादलो से भी आज बातें कर ली जो तुम ना माने तो उनसे भी सिफारिश तय कर ली, देखो अब ये रूठना मनाना नहीं चलेगा बिना कहे वाला इसरार अब नहीं चलेग। * A little history about this guftagoo: https://aestheticmiradh.com/category/just-when-i-dont-know-anything/hindi/ * It has taken me ages to get back to this blog, and specially toContinue reading “सूरज से गुफ्तगू #14”